रात के अंधेरे में जंगल की लकड़ी का अवैध कारोबार, खाना पूर्ति कर रहा वन अमला


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K.K. Tripathi, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जंगल से गीली व बेशकीमती सागौन की लकड़ी का अवैध व्यापार रात के अंधेरे में होता है। शनिवार और रविवार की दरमियानी रात में गोविंदपुरा की आरा मशीन पर अवैध लकड़ियों का परिवहन कर दो गाड़ी से लकड़ी उतारे जाने की जानकारी भोपाल रेंज के आला अधिकारियों को मिली। तत्परता दिखाते हुए वन अमले से आरएस भदौरिया एसडीओ भोपाल को मौके पर भेजा गया। जब तक साहब पहुचे लकड़ी को उतारा जा चूका था। सूत्र की जानकारी सही होने की पुष्टी लॉयन न्यूज को एसडीओ भदौरिया ने की है। वहा लगें सीसीटीवी केमरे बंद थे। कितनी गाड़ी लकड़ी आई इसकी जांच नहीं हो सकी। आरा मशीन के व्यापारी जब लकड़ी से भरी गाड़ी आती है तब इन कैमरों का बंद होना कोई नई बात नहीं है। इसका एक कारण वन विभाग की कार्यवाही में उनकों कोई साक्ष न मिल सके। यहा भी ऐसा ही हुआ। सीसीटीवी केमरे को बंद बताया गया है। ऐसी ही सूचना एक अन्य आरा मशीन की भी थी। लकड़ी से भरी गाड़ी गोविन्दपूरा की आरा मशीन में आई सूत्र की जानकारी पूरी तरह सत्य थी। जानकारी के अनुसार गाड़ी में सागौन की लकड़ी को भी छुपाकर लाया गया था। जिसे वन अमला नहंी निकाल पाया और कार्यवाही सिर्फ खाना पूर्ति दिखाई दी।
भोपाल के गोविंदपुरा इलाके में नाजिया आरा मशीन पुलिस चैकी के पास सहित एमपी टिम्बर पर अवैध लकड़ी की आवक की जानकारी आला अधिकारियों को मिली। भोपाल में बेशकीमती लकड़ी की अवैध आवक लगातार जारी है। जिसके चलते वन अलमें ने मौके पर पहुचकर अपनी कार्यवाहीं की। मौके पर लकड़ी के आने की जानकारी को सही पाया। हालाकि मौके से बेशकीमती सागौन की लकड़ी को गायब कर दिया गया था। सीसीटीवी केमरे को बंद थे। लकड़ी कितनी गाड़ी आई इसका पता नहीं चल सका। प्रथम दृष्टि लकडी की संख्या और भण्डारन से लकडी की मात्रा अधिक बताई जा रही है। मौके से सागौन गायब होने की पुष्टी वन अधिकारी ने भी की है। व्यापारी ने एक टीपी वन अमले को दिखाई गई। सूत्र की माने तो लकड़ी बहुत अधिक मात्रा में आई है। इतना ही नहीं लकड़ी के बीच सागौन की लकड़ी आना बताया गया है। जिसे वन अमला नहंी निकाल पाया और कार्यवाही सिर्फ खाना पूर्ति दिखाई दी।
गौरतलब है कि पिछले दिनों 1 लाख की लागत की सागौन गांधी नगर एयरपोट रोड़ से पकड़ी गई है। अवैध लकड़ी का करोबार करने वाले बेशकीमती सामौन को छुपा कर लाते है। तो कहीं 10 गाड़ी आती है तो व्यापारी सिर्फ दो की ही टीपी वन विभाग को दिखता है। इतना ही नहीं टीपी कही ओर की होती है ओर लकड़ी कही ओर से भरी जाती है। सबसे ज्यादा गफलत आनलाईन टीपी में है। जिसे फर्जी बताया जा रहा है। खुद आला अधिकारी मानते है कि इनकी जांच भोपाल वन मण्डल अकेला नहीं कर सकता। भोपाल में 200 से अधिक आरा मशीन लगी है। जिसमें कुछ अवैध रूप से संचालित है। पिछले दिनों ऐसी ही एक आरा मशीन के कारखाने को वन अमले ने बंद कराया है। ओर कुछ को नोटिश जारी किया है। भोपाल की आरा मशीन में लकड़ी के ओवरलोड हो रहे भण्डार है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर राजधानी में इतनी लकड़ी आ कहा से रही है। वन विभाग की लाचार व्यवस्था की चलते आवक जारी है। टीपी वाली गाड़ी की संख्या के आधार पर माल बहुत अधिक है। जिसका भोतिक सत्यापन वन विभाग एक लम्बे समय से नहीं करा सका है। ऐसे में अवैध लकडी के कारोबारियों के हौसले बुलंद है। इतना ही नहीं सीसीएफ उड़न दस्ता पिछले कई महिनों से आराम की मुद्र में है। तो वहीं भोपाल उड़न दस्ते सीपीए से अतिक्रमण के मामले संदेही अधिकारी के जिम्में है। उड़दस्ते का प्रभार सम्भाल रहे प्रभारी जो पहले से ही विवादों में है। उनकी अब तक की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। जानकारी के अनुसार कोलार इलाके में अवैध अतिक्रमण के मामले में वो भी दोषी है। जब वो सीपीए में थें। उनके रहते अतिक्रमण हुआ है। लेकिन आला अधिकारी की मेहरबानी के चलते उनके कनिष्ठ को दोषी मान और उनको भोपाल उड़न दस्ते का प्रभार बतोर इनाम दे दिया। जो समझ से परे है। इस घटना की चर्चा डिविजन में तो है ही। साथ ही चर्चा का विषय भी हैं। कानुन के जानकार जब ऐसा करते है तो उनकी मंशा साफ समझी जा सकती है। हालाकि आला अधिकारी को ऐसे कर्मचारी ही पसंद है। जो उनको आराम दायक गद्दों पर चैन की नींद सौने दे। भोपाल वन मण्डल का उड़न दस्ते आज भी एक लाख की सागौन के मामले में अपराधी तक नहीं पहुच पाया है। और न ही किसी पर एसआईआर करा पाया। अब देखना होगा कि सीसीएफ उड़नदस्ता और भोपाल उड़नदस्ता कब तक अपनी फजिहत करायेगा।

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